एक ईमानदार चोर, जो चोरी करने के बहाने जज के पास जाता है और कहता है कि उसे सजा दे दी जाय। जज तो ठहरे जज, उसे कानून का पाठ पढ़ाते हुए बताते हैं कि इतनी कम रकम की चोरी पर सजा मिलने में तमाम अड़चनें हैं।
मानदार चोर की कहानी दिखाते ऐसे ही नाटक ‘आधी रात के बाद’ का मंचन राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह में चल रहे नाट्य महोत्सव के तहत हुआ।